Saturday, July 9, 2022

ये कैसा डर सता रहा है मुझे : ग़ज़लनुमा

                    ⬛
    ये कैसा डर सता रहा है मुझे
    वक़्त किस सू ले जा रहा है मुझे

    अभी कल तक यक़ीन था उस पर
    आज फिर क्यों न आ रहा है मुझे।

    एक बेख़्वाब आदमी मुझमें
    बैठ कर के घुमा रहा है मुझे।

    आँख की रौशनी दिल की धड़कन
    हड़प कर ज़िन्दा बता रहा है मुझे।

    काफ़िला बदहवास रूहों का
    मेरे दिल में दिखा रहा है मुझे।
                      🌼                                                गंगेश गुंजन 
          #उचितवक्ताडेस्क‌।

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