🌓
गर्दिश में गुल के अफ़साने कहते रहते हैं
तूफ़ाँ में बेख़ौफ़ तराने गाते चलते हैं।
।२।
तुम्हारे ज़ेह्न में आता कहाँ से मैं कैसे
सदा तो रखा गया हूँ किताब से बाहर। गंगेश गुंजन
#उचितवक्ताडेस्क।
No comments:
Post a Comment