Thursday, November 26, 2020

उत्तीर्ण कविता

    कविता स्मृति में उत्तीर्ण होती है।   

                   गंगेश गुंजन

               #उचितवक्ताडेस्क। 


प्रकृति का लोकतंत्र

कहीं प्रकृति की भी संयुक्त मोर्चा सरकार तो नहीं चल पड़ी है ? प्राकृतिक लोकतंत्र अल्पमत में तो नहीं आ गया है। 

         गंगेश गुंजन। #उचितवक्ताडेस्क।

Sunday, November 22, 2020

अफ़सोस के इलाक़े

अब दूर से दिख जाते हैं अफसोस के इलाक़े  ज़ाहिर है उसी पग पर रुख़ मोड़ लेता हूं।

तज़ुर्बे तो बहुत रिश्तों के सफ़र में हुए लेकिन       जो सो गये हैं उन्हें वहीं छोड़ देता हूं। 

                     गंगेश गुंजन

                  #उचितवक्ताडेस्क।

Saturday, November 21, 2020

सब दिन अपना मनोरथे पर चढ़ि क' चललौं हम।घोड़ा गाड़ी मोटर धरि सोहाएल नहिं कहियो।

                   गंगेश गुंजन

            #उचितवक्ताडेस्क।


Friday, November 20, 2020

लोगों के ढब बदल गये हैं

ढब लोगों के बदल गये हैं।

मीठी वाणी बात करेंगे।

भीतर से आघात करेंगे।

ज़्यादातर दिल जले हुए हैं।

          गंगेश गुंजन

       #उचितवक्ताडेस्क।

Thursday, November 19, 2020

निष्कलंक लोकतंत्र का अहिंसक विकल्प !

लोकतंत्र को जिस दिन हिंसा का अहिंसक    विकल्प मिल जाएगा उस दिन लोकतंत्र       निष्कलंक हो जाएगा और सबजन आदर्श      राज्य-व्यवस्था बन जाएगा।इसमें मुझे कोई       संदेह नहीं।

                   गंगेश गुंजन।                  

               #उचितवक्ताडेस्क।


Tuesday, November 17, 2020

दुःख का क़द

       दु:ख का क़द दिल से छोटा होता है।              
                             🌌
                        गंगेश गुंजन 
                   #उचितवक्ताडेस्क।