इस समय तो पहलगाम विभीषिका पर कोई काल्पनिक तथ्य भी लिख-कह रह हैं और यदि सकारात्मक और पूरी मनुष्यता के पक्ष में हों तो बहुत सुकून मिलता है।बहुत सुकून मिलता है।
ख़ास कर बुद्धिजीवियों को पढ़ते हुए अधिकतर यह महसूस होता है जैसे तमाम दुनिया के डर,अपराध,अंधकार अन्याय और वजूद पर ख़तरे भारत में ही आ कर बस गये हैं। यहांँ को छोड़ कर बाकी सारी दुनियामें पृथ्वी भर -अमेरिका,इंग्लैंड रूस,फ्रांस,चीन आदि देश परम सुख-शांतिमय हैं अतःआनन्द मना रहे हैं।
सच समाचार को जानने-समझने की दृष्टि और रौशनी दीजिए,रास्ता दिखलाइए,गुरु जी।
कल सन्ध्या सुरजीत भवन में आयोजित प्रिय कवि विमल कुमार का एकल काव्यपाठ सुनना दुर्लभ संयोग की बहुत विशेष ख़ुशी थी।
ऐसे नीरस किन्तु भयावह चिन्ता-देश -काल में अब 'एकल काव्यपाठ' का सिलसिला ही अधिक सार्थक अतः स्वागत योग्य है। एक बहुत लम्बे समय के बाद यह अनुभव वास्तव में कविता मय सहज आनन्द का बीता।बधाई विमल जी।
और बहुत प्रशंसा के योग्य,आयोजन के संयोजक प्रियकवि संजय कुंदन जी।