Thursday, October 31, 2019

क़ुतुब मीनार मेरा दोस्त !

बहुत ऊंचा बन के दोस्त मेरा हो गया कुतुब मीनार।

अब उसको देखने में सिर से गिरी जाए मेरी टोपी। 


गंगेश गुंजन.(उचितवक्ता डेस्क)

राजनितिक अल्पायु-दीर्घायु

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स्वीस बैंक और सी.बी.आइ.अपने देश के लोकतंत्र,विशेष कर विपक्ष की प्राण वायु हैं। राजनीति की आयु हैं।परिस्थिति के मुताबिक ये दोनों ही राजनीति को दीर्घायु या अल्पायु बनाते हैं। जनता इन्हीं की दुआओं तले फूलती-फलती और गिरती-पड़ती रहती है।        

गंगेश गुंजन।(उचित वक्ता डेस्क)।

आईना -२.

पूछ कर आईना से अपनी रुसवाई कर ली।

आईना ठकुर सुहाती करके आईना रहता।


गंगेश गुंजन (उचितवक्ता डेस्क)

Wednesday, October 30, 2019

बाग़ में बेला

वहां गमले में मुर्झाया हुआ था।

बाग़ में  तो बेला खिल गया है।

एक से एक वक्ता अभी चुप हैं 

अच्छे-अच्छों का मुंह सिल गया है।

             गंगेश गुंजन।

Tuesday, October 29, 2019

आईना भर सच बचा

अब तो लगता है बचा एक आईना भर सच।

कोई जो मिलता सामने मुंह पर सच कहता।


गंगेश गुंजन।(उचितवक्ता डेस्क)

Monday, October 28, 2019

सांवला सौंदर्य लोकतंत्र का है !

लोकतंत्र भी कोई  न  गंगा नहाया। 

सांवला सौंदर्य है यमुना का इसका।

        (मैथिली से अनूदित)

           उचितवक्ता डेस्क

दुख की चोटों ने गढ़ा है

लाल लोहा कर दिया गर्दिश ने जब मेरा जिगर ।

चोट से दुख के हथौड़ों ने गढ़ा है तब मुझे। 

                         🔥

                    गंगेश गुंजन 

Saturday, October 26, 2019

लाचार हैं कुछ लोग !

जुनूं जुनूं है धर्म का हो या कि विचार का। 

लाचार हैं अपने दिल-ओ-दिमाग़ से कुछ लोग।


गंगेश गुंजन

Friday, October 25, 2019

ख़ुशी बरगद न हो जाये !


ख़ुशी बरगद न हो जाए देखते रहना। 

अच्छा कि दूब,फूल,बांस आम भर रहे ।


गंगेश गुंजन । (उचितवक्ता डेस्क)।

Thursday, October 24, 2019

रिश्ते तब और अब

पहले रिश्ते, रहते थे या नहीं रहते थे। रिश्तों‌ में 'है भी और नहीं भी' का यह मनहूस संशय, बिल्कुल नया है,आज की देन है।


-गंगेश गुंजन।। उचितवक्ता डेस्क।।

Wednesday, October 23, 2019

इस तरह से सुबह आई

कुछ इस रफ्त़ार से  सुबह आई 

रात चुपचाप घर छोड़ कर भागी।

🌱

-गंगेश गुंजन

Tuesday, October 22, 2019

मेरा रुतबा देखना

यह तो कुछ भी नहीं है,देखना उस दिन रुतबा मेरा।                    आसमाँ ख़ुद उठाने आएगा अपनी हथेली पर मुझे।


गंगेश गुंजन

रात मुझको नहीं भायी

हरा कर  रौशनी जो आयी।


रात मुझको ज़रा नहीं भायी।


-गंगेश गुंजन 

.... मुकदमा करते

ज़ख़्म है जानलेवा तो क्या,उसका दिया है ।

किसी और का होता तो मुकदमा न करते ।

🕊️🕊️🕊️

गंगेश गुंजन।

Sunday, October 20, 2019

प्रेम की प्रकृति

प्रेम की प्रकृति गुनगुनाने वाली होती है,गाने वाली शायद ही ।

       🌸🌸🌸🌸🌸

-गंगेश गुंजन। (उचितवक्ता डेस्क)

इतिहास-दृष्टि !

हमारी इतिहास-दृष्टि को मोतिया बिंद है और वर्तमान को रंग अन्धापन है क्या ?

🌀

-गंगेश गुंजन। (उचितवक्ता डेस्क)

Thursday, October 17, 2019

जुनूने सफ़र

        बहुत मुश्किल सफ़र था। 

        मिरे  जुनून  से कम था।

                गंगेश गुंजन

Wednesday, October 16, 2019

पुरुषार्थ और पराजय

मनुष्य की कोई एक असफलता उसके पूरे पुरुषार्थ की पराजय नहीं होती है।                       🌻

               गंगेशगुंजन                                (उचितवक्ता डेस्क)

      

Tuesday, October 15, 2019

अवसर सुअवसर !

मिले हुए अवसर को सुअवसर बनाना मनुष्य के धैैैर्य,अपनी महत्वाकांक्षा, कल्पना और इच्छा-शक्ति पर निर्भर है। 
                        🌈 
                    गंगेश गुंजन
                (उचितवक्ता डेस्क)

Sunday, October 13, 2019

कपूर की इबारत में वफ़ा का नाम

    कपूर की इबारत और मुहब्बत
                     🍂
    कोई शिकवा नहीं है गुंजन से
    मुझको आज भी।
    मगर कपूर से तो यूं नहीं लिखता 
    वफ़ा अपनी।
                     🍁🍁
                  गंगेश गुंजन

Saturday, October 12, 2019

टूटे हैं ज़िंदगी के सफ़र में


टूटे  हैं कई बार  ज़िन्दगी के सफर में।
हर बार बिखरनेसे किसीने बचालिया।
                      🌘
                गंगेश गुंजन

Friday, October 11, 2019

आदमी भर आंखें

  
  आदमी हैं हम आदमी भर आँखें  हैं।
  ख़ुदा होकर दोस्त अंटता नहीं इसमें। 
  *                         
  गंगेश गुंजन

Wednesday, October 9, 2019

हार और जीत

   जीत कर बार-बार कुछ ना कुछ
   बिगड़ा ही।
   हार कर एक बार उससे मैं संवर 
   गया।
                      
               गंगेश गुंजन

   

Saturday, October 5, 2019

वर्तमान का विवेक

    वर्तमान का विवेक इतिहास के
    स्याह अतीत को संस्कारित कर
    उसे संशय मुक्त और उज्ज्वल
    बना सकता है।

                   गंगेश गुंजन          

Friday, October 4, 2019

प्रेम आज्ञाकारी नहीं हो सकता ।

                      🌻
    प्रेम आज्ञाकारी नहीं हो सकता।
    आज्ञाकारी होकर प्रेम मर्यादा हीन  
    हो जाता है।

                   गंगेश गुंजन
               (उचितवक्ता डेस्क)

बहार कर दूंगा सहरा


🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌸🌺
  किस वीराने में छोड़ोगे कहां
  जाकर मुझको।
  बहार कर दूंगा सहरा आदत
  मेरी तुम देखियो। 
  🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌸🌺
                 गंगेश गुंजन

   

Thursday, October 3, 2019

रोना सीखें।

    सीखना हो तो मनुष्यको रोना 
    सीखना चाहिए। हंसना तो सबको 
    आता है। पागल को भी।
     *
                           गंगेश गुंजन