पहले रिश्ते, रहते थे या नहीं रहते थे। रिश्तों में 'है भी और नहीं भी' का यह मनहूस संशय, बिल्कुल नया है,आज की देन है।
-गंगेश गुंजन।। उचितवक्ता डेस्क।।
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