Wednesday, March 30, 2022

बैठे ठाले भोले भाले: सोना

✨✨  
         भोले भाले बैठे ठाले !
                  सोना

  सोना बड़ा दामी और घमंडी होता
  है। वह निर्धन के पास नहीं रहता।
  जब रहता है तो धनवालों के घर।
  ग़रीब से घृणा करता है। उन से
  दूर-दूर रहता है। हालांँकि उसका
  स्वभाव ही ऐसा है कि वह जहाँ
  रहने लगता है वह अमीर हो जाता
  है। वह धनी कहलाने लगता है।
  तो सोना ग़रीब के यहाँ रहने लगे
  तो वे भी ग़रीब क्यों रह जाएँगे ?
  मगर नहीं। सोना तो समाज में
  व्याप्त वास्तविक जाति वर्ण भेद
  से भी अधिक द्वेषी,नस्लवादी
  और होता है।
  गरीबों से द्वेष रखता है और गहरी
  घृणा।
  इतना ताकतवर होकर सोना
  डरपोक बहुत होता है। छिने जाने
  या चुरा लिए जाने के डर से वह
  विशेष अवसर और उत्सवों पर ही
  बाहर आता है। ज़्यादातर बक्सा- 
  संदूकों में बंद रहता है।आजकल
  तो और उसे अपने ही घर तक में
  रहने से भी डर लगता है सो बैंकों
  के लॉकरों में जाकर,छुप कर
  रहता है। 
    विवेकहीन भी बहुत होता है
  सोना। जबकि कहते हैं,विवेकहीन
  बलशाली बाकी समाज के लिए
  बड़ा ख़तरनाक हानिकारक होता
  है। इसीलिए बाकी लोग उससे
  बच कर रहते हैं उसे कभी अपना
  नहीं समझते।
     वह ज़रा शान्त होकर,ठंडे
  दिमाग़ से सोचे और हिसाब
  लगाये तो जान सकता है कि
  अपनी सुरक्षा के लिए जितना धन
  वह साल भर में ख़र्च करबा
  डालता है उतने को अगर समाज
  भर के गरीबों में बँट फैल कर
  रहने लगे तो उसे इतना डर डर
  कर रहने की भी क्या ज़रूरत
  होगी और दुनिया में घमंडीलाल
  भी नहीं समझा जाएगा? और
  सबसे बड़ी बात तो यह कि
  समाज में सर्वत्र ख़ुशहाली फैल
  जाएगी सो अलग। बहुत कुछ
  दुनिया रह कर जीने लायक हो
  जाएगी।
  हालांकि मैं यह जानता हूंँ कि मेरी
  यह बात उद्भट्ट अर्थशास्त्रियों और
  बुद्धिजीवियोंयों को मैं यह बात
  बिल्कुल पसंद नहीं आएगी। मत
  आये। मैं तो कह गया।
                        ..
                 गगेश गुंजन                                     #उचितवक्ताडेस्क।
                      .

Saturday, March 26, 2022

विश्व रंगमंच दिवस २८ मार्च,२०२२.

 🌿⚡।                       ! ⚡ 🌿

          * विश्व रंगमंच दिवस*

    घर रंगमञ्च की सब से छोटी
इकाई है और परिवार अभिमञ्चित
             -सम्पूर्ण नाटक।
                      🏡
           #उचितवक्ताडेस्क।

 *********************************

                    ||🌺||
    आज विश्व रंगमंच दिवस पर
              विशेष भेंट:
       दो पात्रीय संवाद-नाट्य।
         ।। दृश्य :एक मात्र ।।
 
   [चारों ओर से बंद ड्राइंग रूम में
  क़ैदीनुमा बैठे आमने-सामने दो
  लोग। १.बेचैन बुज़ुर्ग और २.
  बेफ़िक्र युवक।यानी दादा-पोता ]
                         *
    (बहुत व्याकुलता से,खीझ और
  गुस्से में) : 
    दादा : पता नहीं यह अभागा
  कब जायेगा यहांँ से।
    पोता : यह कोई जिस्म का फोड़ा
  नहीं ना है दादू कि एक-दो बारी
  मरहम लगा देने से चला जाये।
  आप परेशान बहुत होते हो ? चला
   जाएगा न।
    दादा : अरे मगर कब जाएगा ?
  चला जाएगा।
    (और भी ज़्यादा ग़ुस्साते और ख़ीझते)।
   पोता: जाएगा न। वीसा ख़त्म
  होते ही चला जाएगा।
   (इत्मीनान से मुस्कुराते हुए )...
   दादा: अब इसका वीसा से क्या
  मतलब है?(चिढ़ कर) 
   पोता : है न दादू। यह इम्पोर्टेड
  बीमारी है। जानते ही हो। लेकिन
  कोई नहीं। (कुछ याद करने का
  अभिनय करते हुए) आपके
  ज़माने में वो एक गाना बड़ा सुपर
   डुपर हिट हुआ था न ?
   दादा: (बे मन से,उदासीन भाव से) कौन-सा गाना ?         
   पोता : जाएगा-आ-आ जाएगा 
  -आ-आ जाएगा जाने वाला,
   जाएगा-आ-आ....
   दादा : अरे वह आयेगा-आयेगा
   था। जायेगा जायेगा नहीं... ।
    (तनिक सहज होते हुए गाना
   सुधार कर सही किया तो पोते ने
  मुस्कराते हुए कहा-)
   पोता: मालूम है दादू। मगर अब
  आपका आयेगा वाला सीन-
  सिक्वेंस तो बदल गया है न। यह
  तो जाएगा-जाएगा वाला है।
   (कहते हुए काल्पनिक गिटार
  छेड़ता है और बड़ी अदा से तरन्नुम
   में गाने लगता है-'जाएगा जायेगा
   जायेगा जाने वाला जायेगा।पोते
  की इस हरकत पर: )
   दादा: बहुत शैतान हो गया है
   तू ...रुक। ( थप्पड़ दिखा कर
   उसकी ओर लपकने लगते हैं
लेकिन पोता गाते-गाते ही
ड्राइंगरूम का पर्दा समेटने लगता
है।सामने बाल्कनी दीखने लगता
है। सचमुच में गिटार की कोई
मीठी धुन सुनाई पड़ती है। )
               🌿🌳🌿

      🦚 #उचितवक्ताडेस्क प्रस्तुति   🦚

Tuesday, March 22, 2022

येही कन्धे हैं कि जिन पर उगा है...

ये ही कन्धे हैं कि जिन पर उगा है सूरज
    ये ही बाज़ू हैं सभी नक़्शे बनाते हैं।

              #उचितवक्ताडेस्क।                                     गंगेश गुंजन 

Monday, March 14, 2022

रहनुमा पर कर लिया फिर ऐतबार: ग़ज़ल नुमा

  रहनुमा पर कर लिया फिर ऐतबार  
     अग़र्चे खाये हैं धोखे बार-बार।

   मेज़ पर तैयार बिरियानी हैं हम
  हमीं तो हैं उसके आसाँ से शिकार

  वो भी है और वो भी है,और वो भी
  हर महक़मा,ज़्यादा अफ़सर मक्कार

  जा रहाथा इक फटेहाल किस तरफ
  कह रहे थे सब उसे आज़ाद प्यार।

    समन्दर लहरा रहा है ख़ौफ़ का
    जंग बरपा है जहां में ख़ूंँख़्वार

     आदमी को ढूँढ़ता है आदमी
  इस न उस का सभी को है इन्तज़ार

    एक गुंजन भी खड़े हैं गाँव में
 कारवाँ निकले इधर से अबकी बार
                       ..                                                  गंगेश गुंजन
            #उचितवक्ताडेस्क।

सज्जित हैं अभिमञ्च

                    🌓      
         सज्जित है अभिमंच !

   रंगमंच सक्रिय चल रहा है।
   नाटक में एक खास तरह की
   पटकथा धाराप्रवाह मंचित हो
   रही है ।
    अभी-अभी वाम ने दक्षिण को
   फटकारा है। देखते देखते-देखते
   दक्षिण वाम की पटकथा का
   किरदार बन गया,
   कथा में सहर्ष शामिल हो गया।
   दक्षिण ने वाम को कुछ और तेज़
   ललकारा तो दक्षिण
   अभिमंचन की बखिया उधेड़ू
   वाम रंग-समीक्षा अख़बार स्तम्भ- 
   लेखक हो गया।
   वे एक ही मंच पर बारी-बारी 
  अभिनय कर रहे हैं।
  एक दूसरा दर्शक दीर्घा में सामने
  बैठा
  युद्धाभ्यास का अभिनय देख रहा
  है।
   वास्तविक युद्ध अब भूमि पर
  विध्वंसक मिसाइल परमाणु शक्ति
  इत्यादि से नहीं,
  देश-दुनिया भर के दिमाग़ में
  विस्फोट कर रहा है
  मंच पर घनघोर छिड़ा हुआ है।
  कुछ दर्शक आफस में भिड़े हैं
  अन्य शेष ताक में सक्रिय शान्ति
  से अगले दृश्य की उत्सुकता से
  प्रतीक्षा कर रहे हैं।

  पटकथा में मनमाफ़िक़ तूफ़ान
  और शान्ति है।
               २९.१.'२२.                                          गंगेश गुंजन

         #उचितवक्ताडेस्क।

Monday, March 7, 2022

स्त्री

  'नारी तुम केवल श्रद्धा हो'  के हिमालय से
   स्त्री धरती पर उतर आई है। खड़ी है।                               💐                                                   🌿🌿                                          #उचितवक्ताडेस्क।

Thursday, March 3, 2022

मछलियांँ

    जीवन का तो यों है कि समुद्र में भी            मछलियांँ सुरक्षित नहीं हैं।

                 गंगेश गुंजन
             #उचितवक्ताडेस्क।