Saturday, October 30, 2021

ग़ज़ल नुमा

                      ||🔥||
      मुत्मइन वो भी न था मैं भी नहीं
      था प्यार में।
      बाख़ुदा हर हाल थे बेहाल इस
      संसार में।

      रोज़ कुछ बदले यहाँ ज़्यादा
      मगर सो टूट कर
      बाज़ शोहदे सरीखे कुछ घुसे थे
      सरकार में।

      सियासत थी या कि डमरू पर
      थिरकते लोग थे
      एक से एक भाल-बन्दर मदारी
      दरबार में।

      भूख थी लोगों में कब से ज़ेह्न
      में आज़ादीअत
      हर तरफ बेख़ौफ़ ग़ुंडे माहौले
      ख़ूंँख़्वार में।

      नग्न काँधों में सभा कौरव की
      द्रौपदियांँ खड़ीं
      तीर ना तलवार कोई गदा थी
      प्रतिकार में।

      ख़ून का दरिया बहाया चाहने में
      राजनीति
      इधर निर्मल बह रही गंगा भी
      थी हरद्वार में ।

      लोक कल्याणों के क़िस्सों से
      पटी थी सरज़मीं
      और मचती जश्ने शाही रोज़ हर
      अख़बार में।

      आख़िरत वो भी ख़ुदा को दे
      रहा था कुछ सदा
      एक क़श्ती पार पाने फँसी थी
      मँझधार में।              
               #उचितवक्ताडेस्क।           

                    गंगेश गुंजन

                सात अक्तूबर,२०२१.

Wednesday, October 27, 2021

दो पँतिया

ख़ौफ़ के मंज़र में मत डर जाइए इतने भी आप।
वक़्त आगे और है दुश्वार होगा सामना।
                       |🔥|
              #उचितवक्ताडेस्क।

            गंगेश गुंजन, २४.१०.'२१

Tuesday, October 26, 2021

कुछ दुःख ने दिखाया है...

 |              🌓           |

      कुछ दुःख ने
      दिखाया है कुछ
      सुख ने सिखाया है।

       जब वक़्त
       मिला हमको जी भर
       इन्हें गाया है।

      शिकवों से सताया
      तो जुमलों से
      हँसाया है।

      बेकार के झगड़ों में
      खुशियों को
      गँवाया है।

      समझे हैं अब
      य' बातें
      अब जा के
      बुझाया है।

      क़िस्मत तो
      मिरी देखें,नींन्दों ने 
      सताया है।
              .
      गंगेश गुंजन,२४.१०.'२१.

      #उचितवक्ताडेस्क।

Monday, October 25, 2021

अच्छा आदमी बुरा आदमी

किसी बहुत अच्छे आदमी से आपका परिचय कभी बहुत बुरे आदमी के मार्फ़त होता है।
जीवन कितना दिलचस्प है।
                      🌍
            #उचितवक्ताडेस्क।

                 गंगेश गुंजन

Saturday, October 23, 2021

झुकना

झुकने से मना कर के फ़ितरत तो बचाया
अब सब झुके हुओं की आँखोंकोअखरते हैं।

                     गंगेश गुंजन
                #उचितवक्ताडेस्क।

Thursday, October 21, 2021

रात मुझको ज़रा नहीं भायी

                 |🌓|

हरा कर  उजाले  को  आयी।                   रात मुझको ज़रा नहीं भायी।
                  🌘
             गंगेश गुंजन

         #उचितवक्ताडेस्क।


Wednesday, October 20, 2021

ग़ज़लनुमा

🌵🏘️🌵  । ग़ज़लनुमा ।🌵🏘️🌵 

     सियासी जुनूंँ यों तो कम नहीं है
       अग़र्चे सियासत में दम नहीं  ‌है।

    सोचिए तो विचार भी है नग़्मा
    भले इसमे कोई सरगम नहीं है।

    बहुत हारा मिला कल बेसहारा
    ज़ख्म प' उसके अब मरहम नहीं है।

    सोच कर हुए जाने वाले दुबले
    शहर में क़ाज़ी जी कम नहीं है।

    मिले तो पूछ लूँ क्यूँ न  उसी से
    सज़ाए ख़ामुशी मातम नहीं है ।
                 | 🌟 |
       गंगेश गुंजन,१७.०९.'२१.

         #उचितवक्ताडेस्क।

Monday, October 11, 2021

बिचौलिए की ताक़त

💤  बिचौलियों की ताक़त  💤
                    🌀
    बिचौलियों की ताक़त और षड्यंत्र
     देखिए कि पानी जैसा पदार्थ जो
     धधकती हुई भयावह आग को
     बुझा देता है लेकिन पर्यावरण और पानी

     के बीच में महज़ कोई बर्तन आ जाय तो
    उसे शक्तहीन बना देता है और बर्तन
    बिचौलिया पानी को वाष्प बना कर
     उड़ा देता है। सामाजिक सोच, सामर्थ्य
     और जन साधारण की ताक़त के साथ 

     भी बिचौलिये ही हैं जो षड़यंत्र कर 

    आपसी संदेह,परस्पर वैमनस्यता और
    विद्वेष पैदा करके अपने-अपने
    स्वार्थ‌ में कभी जाति कभी
    संप्रदाय कभी भाषा,राज्य का
    टंटा खड़ा करते हैं और आपसी
    भाईचारा बर्बाद करते हैं। 
        चिंताजनक और दुखद यह और
    अधिक है। ऐसे में कई बार
    राजनीतिक विचारधाराएंँ भी
    शामिल हो जाती हैं।इस प्रपंच से
    जनसाधारण अवगत नहीं हो
    पाता या कहें उसे इस से अवगत
    होने नहीं देने का एक सुनियोजित

    वातावरण बना दिया जाता है। जनता

    तो साधारण लोग हैं उन्हें उनका
    नेतृत्व ही चलने को बाध्य करता
    है।समाज के लिए अपने लोगों
    को अपने-अपने स्तर पर चिंता
    करनी होगी और राजनीतिक
    बर्तनों को पानी की ऊर्जा के
    अपव्यय से आगाह करना होगा।
    चेतावनी देनी होगी।
    जनता को स्वयं जनता के साथ
    एकहित में संवाद करना होगा
    और राह तय करनी होगी। अब
    देखें ऐसा कब होता है ।
           #उचितवक्ताडेस्क।

                गंगेश गुंजन

Wednesday, October 6, 2021

वार्षिकोत्सव सा आ ट्रस्ट २००९.

   श्रीमती सिंहेश्वरी-दामोदर स्मारक
   पुस्तकालय,पिलखवाड़,मधुबनी :
   वार्षिकोत्सव-२००९ ई०।
   स्वागत और अभिनंदन में 
   निवेदनीय प्रोफ़ेसर शंकर कुमार
   झा(फ़ोटो से बाहर).फोटो में
   क्रमशः
   मेरे उदय भैया इनके बायें
  आ०पं०विद्यानन्द झा(नन्हकूभैया
  के बाद यार-भगवान जी-
   जयवीर और अंत में आदरणीय
   छोटका भैया-वीरू बाबू : ट्रस्ट के
   उपाध्यक्ष जी।
          💐।💐।💐।💐।💐
  #उचितवक्ताडेस्कअभिलेखागार।

Monday, October 4, 2021

जीवन !

               जीवन-मरण !

लम्बी से लम्बी सुन्दर कहानी आख़िर,    एक शीर्षक में सिमट कर रह जाती है।

          #उचितवक्ताडेस्क। 

                गंगेश गुंजन