🌵🏘️🌵 । ग़ज़लनुमा ।🌵🏘️🌵
सियासी जुनूंँ यों तो कम नहीं है
अग़र्चे सियासत में दम नहीं है।
सोचिए तो विचार भी है नग़्मा
भले इसमे कोई सरगम नहीं है।
बहुत हारा मिला कल बेसहारा
ज़ख्म प' उसके अब मरहम नहीं है।
सोच कर हुए जाने वाले दुबले
शहर में क़ाज़ी जी कम नहीं है।
मिले तो पूछ लूँ क्यूँ न उसी से
सज़ाए ख़ामुशी मातम नहीं है ।
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गंगेश गुंजन,१७.०९.'२१.
#उचितवक्ताडेस्क।
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