Thursday, July 30, 2020

अभिनय और पाखंड

पाखण्ड तो कला नहीं है लेकिन  पाखण्डी अभिनेता ज़रूर होता है। जितना बड़ा पाखण्ड होता है उतना ही बड़ा अभिनेता होगा।                सबसे खतरनाक धर्म एवं संस्कृति का पाखण्ड होता है और इसका अभिनेता।

                 गंगेश गुंजन 

           # उचितवक्ता डेस्क। 

Wednesday, July 29, 2020

मुख्य और कार्य वाहक

कभी-कभी प्रमुख आफिसर से भी अधिक विशेष,कार्यवाहक अधिकारी कर जाते हैं।जैसे ईश्वर का कार्य वाहक विज्ञान,कमाल पर कमाल कर रहा है।

                    गंगेश गुंजन 

             # उचितवक्ता डेस्क। 

Tuesday, July 28, 2020

विज्ञान : ईश्वर का कार्य वाहक अधिकारी

' विज्ञान ईश्वर का ही कार्यवाहक अधिकारी है।' ऐसा मेरे मित्र समाधान प्रसाद बड़ी दृढ़ता से मानते हैं और मुझे सुनाते रहते हैं। आपका मत ? 

                     गंगेश गुंजन 

              # उचितवक्ता डेस्क 

Monday, July 27, 2020

दर्द का रिश्ता

कुछ दर्द के  रिश्ते से और नेह भी बहुत था।

पल-पल भी मरे हम तो अच्छा बहुत लगता था।

                   गंगेश गुंजन 

             # उचितवक्ता डेस्क 

Saturday, July 25, 2020

मंज़िल

चुनो तो मंजिल ऐसी कि राह ख़ुद लिएचले और फ़ख़्र भी करे इसी पथ से गये हो तुम।

                        गंगेश गुंजन  

                   # उचितवक्ता डेस्क 


Friday, July 24, 2020

सामाजिक यथार्थ और लेखक

सामाजिक वास्तविकता और लेखक 

समाज की वास्तविकता को छोटा-बड़ा करना लेखक-कलाकार की दृष्टि,इच्छा- शक्ति और कौशल पर है।ये तीनों हर हाल लेखक की नीयत से संचालित होती हैं।उसी तरह जैसे कोई फोटो ग्राफर फोटो रंंगीन या 
श्वेत-श्याम करते हैं अथवा निगेटिव-पाजिटिव और एनलार्ज करते हैं।
                       गंगेश गुंजन 
                 # उचितवक्ता डेस्क। 

पत्थर दिल ।

    दिल जब पत्थर हो जाता है

     ताज  तोड़ने  लग जाता  है। 

               गंगेश गुंजन

        # उचितवक्ता डेस्क।


Thursday, July 23, 2020

साहित्य में यथार्थ का नाप

साहित्य में यथार्थ के कुर्ता-ब्लाउज की सिलाई लेखक के नाप की होती है। 

                  गंगेश गुंजन                  

             [उचितवक्ता डेस्क]  

साहित्य

                    साहित्य 

साहित्य मानवीय उदात्तता और आदर्श प्रयोजन के सामाजिक आशयों का भाषा में आविष्कार है।कदापि स्पर्धा नहीं है। समकालीन दो उल्लेखनीय लेखकों की तुलना अनावश्यक है। 

                    गंगेश गुंजन 

                # उचितवक्ता डेस्क।

Wednesday, July 22, 2020

श्रेष्ठता का विचार

श्रेष्ठता पर विचार

सभी श्रेष्ठता अपनी गुणवत्ता पर ही टिकी हो यह ज़रूरी नहीं है। साहित्य में तो और भी नहीं। बहुत सूक्ष्म और कूटनीतिक स्तर तक बौद्धिक कुशलता से संस्थापित अधिकतर ऊंचाई और श्रेष्ठता भी अक्सर,संगठनात्मक प्रक्षेपण और प्रायोजित होती है। कभी विचारधारा, कभी पारस्परिक स्वार्थ और प्रवृत्ति मूलक योजना में। वैसे दुर्भाग्य से ऐसी तुच्छताओं के संकीर्ण संगठन साहित्य कलाएं और प्रबौद्धिक समाजों में अधिक ही सक्रिय रहते हैं।इनके कारण प्रतिगामी विचार और कार्य को अदृश्य और बहुत सूक्ष्म रूप में ताक़त मिलती रहती है। दिलचस्प कहें या दोहरा दुर्भाग्य, यह है कि मीडिया-माध्यमों में ये ही वर्ग, साहित्य की मशाल होने का भी दम भरते दृष्टिगोचर होते हैं।       

                         *                    

              गंगेश गुंजन। २९.५.'१९.

          # उचितवक्ता डेस्क।

Sunday, July 19, 2020

आलोचना जनश्रुति है

नीर-क्षीण विवेक,आलोचना एक जनश्रुति है। 

                 गंगेश गुंजन 

           # उचितवक्ता डेस्क 

Friday, July 17, 2020

यमुना और ताजमहल

यमुना के किनारे कहीं पर भी कोई ताजमहल बना ले तो ताजमहल हो      जाएगा अब ?                                     

                   गंगेश गुंजन

              # उचितवक्ता डेस्क 

Thursday, July 16, 2020

अकेले में चिड़िया

अकेलेपन में हर उस आदमी के सामने से काश नन्ही कोई चिड़िया ही गुजर जाया करे।

                       गंगेश गुंजन 

                  # उचितवक्ता डेस्क 

Wednesday, July 15, 2020

ज्ञान और ईश्वर !

  ज्ञान ईश्वर को भी शून्य में उड़ा देता है। 
 
                   गंगेश गुंजन 
             # उचितवक्ता डेस्क 

Friday, July 10, 2020

पुस्तक,ज्ञान और मनुष्य

पुस्तक में ज्ञान है। घर-घर में पुस्तक है।लेकिन सभी घरबैया ज्ञानी नहीं हैं।

              गंगेश गुंजन

       # उचितवक्ता डेस्क।

Wednesday, July 8, 2020

हमारे हौसले की सीढ़ी

हमारी कोशिशों की सीढ़ी टूटी नहीं है।  हमारा हौसला थकने  में अभी देरी है।

                   गंगेश गुंजन

           # उचितवक्ता डेस्क।

Tuesday, July 7, 2020

मज़्लूमों के दुःख दर्द

                🔥🔥🔥

शोर नहीं करते मज़्लूमों के दुःख दर्द। अक्सर अंगारों में भी बोला करते  हैं। 

                    गंगेश गुंजन

             # उचितवक्ता डेस्क।

Monday, July 6, 2020

उद्दण्ड आंधी और पत्ता

उद्दंड और घमण्डी आंधी इस खुशफ़हमी में रहती है कि उसने पत्तों को तोड़ कर,उड़ा कर बेघर कर डाला ! जबकि उसे यह ख़बर ही नहीं कि वे पत्ते उसी की ऊंची पीठ पर चढ़ कर आसमान का सैर कर लेते हैं और धरती से भी विस्तृत विशाल महासागरों में नहाने उतर जाते हैं। 

                     गंगेश गुंजन

              # उचितवक्ता डेस्क ।

आलोचक -दुरालोचक

नव-पुरान सब रचनाकार कें आलोचना ओ आलोचकक आदर अवश्य करबाक चाही, परंतु दुरालोचक आ दुरालोचनाक सस्वर प्रतिरोध सेहो करब आवश्यक।  

                        गंगेश गुंजन

                            # उचितवक्ता डेस्क।

Sunday, July 5, 2020

गंगाजल और प्रदूषित संस्कृति !

गंगा नदी भी प्रदूषित हो गई। संस्कृति भी प्रदूषित हो जाती है। गंगाजल तो शुद्ध हो जा सकता है,संस्कृति नहीं। या शायद ही।  

                       गंगेश गुंजन

                  # उचितवक्ता डेस्क।

Saturday, July 4, 2020

हवा और पत्ता

हवा का सहारा मिल जाय तो पत्ता भी आसमान छू लेता है। 

                  गंगेश गुंजन

            # उचितवक्ता डेस्क।

Friday, July 3, 2020

....थोड़ा जुनून चाहिए

कहते हैं कुशलता और दक्षता की सीढ़ी से कोई भी ऊंचाई मापी जा सकती है।थोड़ा जुनून चाहिए। 

                     गंगेश गुंजन

                # उचितवक्ता डेस्क।

Thursday, July 2, 2020

तद्भव संस्कृतियां

संस्कृति तत्सम नहीं रहती। हम तद्भव संस्कृति जीते हैं।                              आप‌ क्या मानते हैं साथियो ? 

                 गंंगेश गुंजन

           # उचितवक्ता डेस्क।

जातिवाद और पूंजीवाद

जातिवाद और पूंजीवाद दोनों सहोदर।      हैं क्या ?

   विद्वज्जन बतलाएंगे कृपया।  

              गंगेश गुंजन     

         #उचितवक्ता डेस्क।

Wednesday, July 1, 2020

पनाह

नसीब  देखिये  मक़्तूल का आप भी ज़रा।उसे पनाह जो मिली तो क़ातिल के घर में।                           गंगेश गुंजन

                # उचितवक्ता डेस्क।