Monday, July 6, 2020

उद्दण्ड आंधी और पत्ता

उद्दंड और घमण्डी आंधी इस खुशफ़हमी में रहती है कि उसने पत्तों को तोड़ कर,उड़ा कर बेघर कर डाला ! जबकि उसे यह ख़बर ही नहीं कि वे पत्ते उसी की ऊंची पीठ पर चढ़ कर आसमान का सैर कर लेते हैं और धरती से भी विस्तृत विशाल महासागरों में नहाने उतर जाते हैं। 

                     गंगेश गुंजन

              # उचितवक्ता डेस्क ।

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