साहित्य
साहित्य मानवीय उदात्तता और आदर्श प्रयोजन के सामाजिक आशयों का भाषा में आविष्कार है।कदापि स्पर्धा नहीं है। समकालीन दो उल्लेखनीय लेखकों की तुलना अनावश्यक है।
गंगेश गुंजन
# उचितवक्ता डेस्क।
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