नव-पुरान सब रचनाकार कें आलोचना ओ आलोचकक आदर अवश्य करबाक चाही, परंतु दुरालोचक आ दुरालोचनाक सस्वर प्रतिरोध सेहो करब आवश्यक।
गंगेश गुंजन
# उचितवक्ता डेस्क।
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