समस्त अपने,मेरे स्नेहादरणीयो ! सब समाज, सपरिवार नववर्ष मंगलमय हो!
! 🙏 ! 🌿🌺🌿 #उचतवक्ताडेस्क।
समस्त अपने,मेरे स्नेहादरणीयो ! सब समाज, सपरिवार नववर्ष मंगलमय हो!
! 🙏 ! 🌿🌺🌿 #उचतवक्ताडेस्क।
🔥 🔥|
साहित्य अकादेमी समेत समस्त
मैथिली सम्मान आ पुरस्कार पर घिनमो घिनमी सँ बाढ़ि गूहांँ गीज्जनिक आब हद्द भ' गेल !
🙏!🙏!
हे हमर स्नेही ओ आदरणीय मैथिली-लोक,समाज !
एक रती ठंढा मन सँ शान्ति पूर्वक विचार करै जाइ ! कृपया,चंचल चित्तें नहिं।
हमहूँ व्यग्र चिन्तातुर छी।अपने
सभक संगे बैसि क' 'सोच'-बूझ'
चाहैत छी। विचार कर' चाहैत छी।
रुचि हो आ दायित्व बुझाय तँ आइ
साँझ सात बजे हमरा फेसबुक
जीवन्त (फेसबुक लाइव )मे
आबी। आग्रह आ विनती !
आइ बृहस्पति,29 दिसम्बर,',22.
साँझ खन सात बजे। आदर पूर्वक
हमर आमंत्रण निवेदित !
💐। 💐
#उचितवक्ताडेस्क।
•• ग़ज़ल नुमा ••
मेरे हाथों में दे के क़लम मुझे भेजा है
हरेक सिम्त जहाँ सब के हाथ नेजा है।
•
बहुत महीन मुहावरे का करता है प्रयोग
कहे ग़रीब और चूहे का मिरा कलेजा है।
•
तहस नहस किये दे रहा है इक चुटकी में
बाग़ सदियों में हमने ये जो सहेजा है।
•
मरीज़ ढो-ढो कर थकते रहे थे जो काँधे
आज अपनी हसरतों का जो जनाज़ा है।
•
अजब तड़प है आग-सी लगी है सीने में
और ये सामने जम्हूरियत का तक़ाज़ा है ।
💥
गंगेश गुंजन,
रूढ़ विचारधारा की राजनीति साहित्य में ऊर्ध्वश्वाँस ले रही है।
गंगेश गुंजन #उचितवक्ताडेस्क।
. ।°। .
डरा हुआ सच तो फ़रार है
झूठ हर जगह बरक़रार है।
•
लिपटा है अवसर का बिस्तर
दे धोखा कब से तैयार है।
•
जन साधारण को समझाने
तर्क पास में बेशुमार है।
•
बॉल्कनी के गमले सूखे
पॉर्कों में पसरी बहार है।
•
मस्तमना हैं सोच-सोच कर
विरोधियों का बंँटाढार है।
•|•
गंगेश गुंजन #उचितवक्ताडेस्क।
ग़ज़लनुमा
🌼 || 🌼
दिलों का डाक्टर है
हुनर का मास्टर है।
•
बोलने में लिखे में
अदब का नामवर है।
•
सियासत को अदब के
कौन गुस्से का डर है।
•
जहाँ वो है न होता
वजह ये ही अगर है।
•
उसे क्यों ख़ौफ होगा
जिसे रोटी न घर है।
•
टूटता भी दिखे है
हौसले में मगर है।
•
ठंड ठिठुरा रही जो
रात क्या,क्या सहर है।
•
आदमी से भी मुश्किल
य' सूरज का सफ़र है।
•
प्रेम को पूछे कौन
नफ़रतें भर नगर है।
••