Saturday, March 26, 2022

विश्व रंगमंच दिवस २८ मार्च,२०२२.

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          * विश्व रंगमंच दिवस*

    घर रंगमञ्च की सब से छोटी
इकाई है और परिवार अभिमञ्चित
             -सम्पूर्ण नाटक।
                      🏡
           #उचितवक्ताडेस्क।

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    आज विश्व रंगमंच दिवस पर
              विशेष भेंट:
       दो पात्रीय संवाद-नाट्य।
         ।। दृश्य :एक मात्र ।।
 
   [चारों ओर से बंद ड्राइंग रूम में
  क़ैदीनुमा बैठे आमने-सामने दो
  लोग। १.बेचैन बुज़ुर्ग और २.
  बेफ़िक्र युवक।यानी दादा-पोता ]
                         *
    (बहुत व्याकुलता से,खीझ और
  गुस्से में) : 
    दादा : पता नहीं यह अभागा
  कब जायेगा यहांँ से।
    पोता : यह कोई जिस्म का फोड़ा
  नहीं ना है दादू कि एक-दो बारी
  मरहम लगा देने से चला जाये।
  आप परेशान बहुत होते हो ? चला
   जाएगा न।
    दादा : अरे मगर कब जाएगा ?
  चला जाएगा।
    (और भी ज़्यादा ग़ुस्साते और ख़ीझते)।
   पोता: जाएगा न। वीसा ख़त्म
  होते ही चला जाएगा।
   (इत्मीनान से मुस्कुराते हुए )...
   दादा: अब इसका वीसा से क्या
  मतलब है?(चिढ़ कर) 
   पोता : है न दादू। यह इम्पोर्टेड
  बीमारी है। जानते ही हो। लेकिन
  कोई नहीं। (कुछ याद करने का
  अभिनय करते हुए) आपके
  ज़माने में वो एक गाना बड़ा सुपर
   डुपर हिट हुआ था न ?
   दादा: (बे मन से,उदासीन भाव से) कौन-सा गाना ?         
   पोता : जाएगा-आ-आ जाएगा 
  -आ-आ जाएगा जाने वाला,
   जाएगा-आ-आ....
   दादा : अरे वह आयेगा-आयेगा
   था। जायेगा जायेगा नहीं... ।
    (तनिक सहज होते हुए गाना
   सुधार कर सही किया तो पोते ने
  मुस्कराते हुए कहा-)
   पोता: मालूम है दादू। मगर अब
  आपका आयेगा वाला सीन-
  सिक्वेंस तो बदल गया है न। यह
  तो जाएगा-जाएगा वाला है।
   (कहते हुए काल्पनिक गिटार
  छेड़ता है और बड़ी अदा से तरन्नुम
   में गाने लगता है-'जाएगा जायेगा
   जायेगा जाने वाला जायेगा।पोते
  की इस हरकत पर: )
   दादा: बहुत शैतान हो गया है
   तू ...रुक। ( थप्पड़ दिखा कर
   उसकी ओर लपकने लगते हैं
लेकिन पोता गाते-गाते ही
ड्राइंगरूम का पर्दा समेटने लगता
है।सामने बाल्कनी दीखने लगता
है। सचमुच में गिटार की कोई
मीठी धुन सुनाई पड़ती है। )
               🌿🌳🌿

      🦚 #उचितवक्ताडेस्क प्रस्तुति   🦚

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