🛖
१.
जान गिरवी रख दी मैंने
क़बाला दिल छुड़ाने के लिए।
२.
भूल जाता है आना भी, मुन्तज़िर हो गए हम किसके। ३.
सुख काग़ज़ दु:ख पेपरवेट
अनुभव यह होता है लेट। ४.
नक़ली बातों का बाज़ार सुन्दर ग़ज़ब दिखावा है। ५.
स्वर्ग लिखे तो क़लम हिन्दू , लिख के जन्नत मुसलमान है
६.
देख-सोच कर बेहद चिंतित,
मन विचलित ये परेशान है।
७.
यक़ीन कर हम पर नज़र रख।
सहर हूंँ ज़रूर आऊंँगा।
. . गंगेश गुंजन
#उचितवक्ताडेस्क।
No comments:
Post a Comment