🦩। ✨ ।🦩
नया बरतना आना है
बाक़ी क्या समझाना है।
उनको आग लगानी है
हमको उसे बुझाना है।
नक़ली अँधियारे हैं कुछ
लोगों को बतलाना है।
फिर वो काँटे बोता है
पथ पर से चुनवाना है।
जग-जग कर आँखें हैं लाल
रहम किसे अब आना है।
क्या थे अपने बचपन के
और बुज़ुर्ग ज़माना है।
चलते हुए बहुत गुज़री
अब कुछ पल सुस्ताना है।
आये भी जो याद कोई
किसको भला सुनाना है।
इश्क़ सियासत एक समान
वादा और बहाना है।
**
गंगेश गुंजन #उचितवक्ताडेस्क।
No comments:
Post a Comment