Monday, August 5, 2024

भवभूति विश्वास वाले लोग!

🛖

                  भवभूति-विश्वास का घर 
                                   °°
  डिजिटल युग में अनाज के गठ्ठरों की तरह रखी जा रही हैं किताबें,कभी बड़ी टंकियों में जमा पानी की तरह,कहीं अपने-अपने प्रकाशकों की साँठ गाँठ और प्रतीकों मेंं तैयार कूट पाण्डुलिपियों की फाइलें,रेत की मानिन्द ट्रकों में लादकर बहाये जा रहे हैं भाषा में- शब्द !
   साहित्य माफ़ियाओं के समय में गझिन राजनीति की छल-छल व्याख्याओं से इर्द-गिर्द घिरे हुए डगमग,बौद्धिक- --टापू-विचार भले ही अभी लेकिन फिर भी 
         ग़नीमत है !
भ्रम में हैं भवभूति-विश्वास वाले कलमकार !
                       ❄️
                 गंगेश गुंजन 
            #उवडे.१२.६.’२४.

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