Thursday, August 29, 2024

हम सहरसा छी !

   ⛈️         हम सहरसा छी !
   काल्हि मुख़्तार आलम जीक सहरसा पोस्ट आकर्षित कयलक। हमरा स्मृति मे तँ १९७२-७३ई.क सहरसा अछि।सब सँ पहिने महिषीए गेल रही-राजकमल जी सँ स्मृति-भेंट ओ आदरणीया शशि भाभी जी केँ प्रणाम करऽ! 
  ई तँ सर्वथा नऽव सहरसा। सोचितहिं रही कि मित्र समाधान प्रसाद जीक फ़ोन आयल।किंचित स्मृति उदास किन्तु उल्लसित तंँ रहबे करी कि अपन सदाबहार अंदाज़ मे मित्रवर टोकलनि -
‘बड़ी कोमल स्वर भाषा फूट रही है कवि जी। का बात है ?’
‘एहन कोनो बात नै बन्धु परन्तु हँ, एखनहिं राजकमलजी,मायानन्दजी, जयानन्दजीक सहरसाक नवका फोटो देखलिऐ से कनी भावुक ठीके छी ! उचिते हेतैक यदि साहित्यिके टा नहिं,ई सहरसा सबजन रुचिक देशव्यापी ध्यानाकर्षक ‘पर्यटन स्थान’ बनि जइतैक…!’
‘कने ओ फ़ोटो पठाउ तंँ हमरो। देखिऐ हमहूँ कनी।’ 
ओ कहलनि अर्थात् हुकुम देलनि। हमहूँ तत्काल तामिल कयल। फोटो पठा देलिअनि आ प्रतीक्षा कर’ लगलौं। देखी समाधान बाबू कोन बम फोड़ै छथि।कि
पिठ्ठे पर फ़ोन आयल। कहलनि -
‘कवि जी,ई वैह सहरसा यौ जे सहरसा एक समय मे कोसीक बाढ़ि आ नोर सँ नहायल मैथिली साहित्य संँ बहैत छलय?’ 
 हमरा तँ एकर कोनो जवाब नहिफूरल। समाधान बाबूक ऐ पूछब पर यद्यपि तखने सँ गुनधुनि मे छी। 
  कोय गोटय कहि सकैत छी जे सहरसा द’ समाधान प्रसाद से किएक टिपलनि ?
  दुर्भाग्य जे प्रिय महाप्रकाश तँ छथिहे नहिं। तखन 
प्रो० नवीन अहाँ?
वियोगी जी? 
प्रो.सुभाष अहाँ? 
अहाँ प्रो.महेंद्र ?
                         🌼|🌼
                      गंगेश गुंजन 
                 #उचितवक्ताडेस्क।

No comments:

Post a Comment