Saturday, August 24, 2024

नहिं रहैत छैक कोय तँ...

                          🌼                                          नहिं रहैत छैक कोय तँ…
  कोइ जखन नहिं रहल तँ की रहैत छैक 
कोनो कोठली,कोठलीक पलंग,खाट- चौकी,बइसैक कुर्सी रिक्त रहैत छैक। 
बहुत दिन सँ एकहि ठाम गेंटल टेबुल पर किछु किताब रहैत छैक
एक टा कम्प्यूटर,किछु फाईल 
ककरो नंबर सब सँ भरल मोबाइल फ़ोन
रहैत हेतैक।
  क्रमशः ओकर लुप्त होइत बोल,भाव- भंगिमा ओ मिझाइत आकृति रहैत छैक।

हँ किछु टटका स्मृति सेहो रहैत छैक जे तत्काल लोक,समाज कें शोक मनयबाक काज आबि जाइत छैक आ आगाँ बर्खी इत्यादिक।
सम्प्रति फेसबुक सहित समस्त संचार माध्यम मे एक-दू दिन धार कात ओकर धधराक फ़ोटोमय शोकक उद्गार आ समाचार छपैत रहैत छैक… 
  देबाल पर माला पहिरने फोटो सेहो रहि जा सकैत छैक किछु बर्ख,ककरो नहिं रहलाक बाद।
 सेवा-समर्पित अपन लोकक शोकरिक्त समय,सम्भव जे समकालीन कय टा समानधर्मी प्रतिद्वंद्वी हल्लुक भेल अमानवीय हृदय रहैत छैक।
ककरा लय कतेक,की केहन कतेक रहि जाइत छैक ?
जकरा लय रहि जाइत छैक ओ सब टा नहिं रहि जाएब मे ओकरे टा मूर्त्त 
किछु गपशप करैत प्रस्तरीभूत मौन समय रहैत छैक जे  
विशेष लोक रहने सभ्य समाजक सभा सोसाइटीक मनाओल जाइत पुण्य तिथि- संस्कृति मे बजैत छैक
   किछु बर्ख धरि 
   बर्खीक भोज मे 💐   
                      गंगेश गुंजन 
                    #उचितवक्ताडे.

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