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उस बार किससे साबका़ पड़ा था मेरा
इस बार हुआ किससे ये राब्ता मेरा।
इतना महज़ कहा तो टोके है रहनुमा-
'कब से लगा सियासत में चस्का' मेरा।
आते उधर से देख के वो पूछने लगा
'किस एमपी से मिलकर आना हुआ' मेरा।
चालाक मिरा रहबर कितना है देखिए
मैं बेवक़ूफ बेसबब चेहरा झिंपा मेरा।
कहने में हिचके क्यों जयहिन्द भी जु़बान
नेता अपन ही क्षेत्र का अनजान क्या मेरा।
बाज़ू उठाये ऊंँचा रेशम का झंडा
हँसता है देख खादी तिरंगा मेरा।
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गंगेश गुंजन
#उवडे.
१५ अगस्त,२०२४.
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