Thursday, July 25, 2024

ग़ज़लनुमा : होगी सहर उजाला होगा.

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       होगी सहर उजाला होगा 
   समय  जगाने वाला होगा।
 
      अपने भी घर होगा वो सब 
   सुबह सुबह मतवाला होगा।

       भूख लगे में रोटी चावल 
   का भर पूर निवाला होगा।

       महज़ धर्म की राजनीति पर  
   दूर नहीं दिन ताला होगा।

       गुंजन जी क्यों फ़िक्रमंद हों 
   दुःख का अब दीवाला होगा।
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               गंगेश गुंजन, 
                २७.५.’२४.

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