❄️
कौन अपना दिखाई देता है
वही सपना दिखाई देता है।
अभी अभी बैठा एक परिन्दा
डार कंँपना दिखाई देता है।
छोड़ के जा रही है रेल कोई
हाथ हिलना दिखाई देता है।
भूल ही जाता माज़ी भी न क्यूँ
कोई रोना सुनाई देता है।
धूप से तप रही दुपहरी में
कौन जाता दिखाई देता है।
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गंगेश गुंजन
#उवडे.
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