°°
बहर दुरुस्त बड़ा मौजूं है
शायरी पस्त थकी हारी है।
अजब सदी है बद्ज़ेह्नी तो
चौदवीं इकिस्वीं प' भारी है।
बिना ज़ेबर भी सुन्दर क़ाबिल
क्यूँकि लड़की सो बेचारी है।
•
गंगेश गुंजन
#उचितवक्ताडे.
No comments:
Post a Comment