🌼 रुआंँसी मुस्कुराहट है !
रुआंँसी मुस्कुराहट है
कोइ अपशकुन आहट है।
जमा हुए सब के सब मेहमान
सबके सुल्तान की बुलाहट है।
बाप की मैयत,जनाज़े की
शादियों वाली सजावट है।
महज़ चीजें नहीं,आदमी की
ज़मीर में कहीं मिलावट है।
असर उसूलों का हो कैसे
हुई जैसी इसमें गिरावट है।
उनकी आवाज़ क्यूँ हुई ढीली
इन्क़लाब में क्यूँ हकलाहट है।
सभी उसूल तो हैं यों मुर्दा
और तेवर में गर्माहट है।
कुछ हैं बीमार ही ज़्यादा बीमार
डॉक्टर में भी घबराहट है।
जंग अंजामदेह हो ज़रूरी नहीं
अबके जीते में तिलमिलाहट है।
❄️
गंगेश गुंजन
#उचितवक्ताडे.
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