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लिख पढ़ कर उस्ताद हो गया
दिल्ली में आबाद हो गया।
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बेटा यू एस ए में पढ़ कर
भारत में बर्वाद हो गया।
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बहुत दलों की बैठक में लो:
हर मुद्दे पर विवाद हो गया।
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कभी तिरस्कृत राजनीति में
देखें कितना स्वाद हो गया।
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जनता के शोषण का परिसर
नेता की जायदाद हो गया।
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रह-रह कर ग़ुलाम इतने दिन
मुक्ति-कर्म उन्माद हो गया।
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ग्राम विकासी पंचायत पर
हाबी जातीवाद हो गया।
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गंगेश गुंजन #उचितवक्ताडेस्क।
Tuesday, January 17, 2023
पढ़ लिख कर उस्ताद हो गया: ग़ज़लनुमा
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