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कहते-कहते वो मसीहा हो गया
सुनते-सुनते मैं फ़कीरा हो गया।
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विकट हंगामों के उठते शोर में
ग़ज़ब है वो किस तरह यों सो गया।
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बात छोटी-सी कही थी कान में
वो ख़यालों के नगर में खो गया।
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एक मामूली वजह रिश्ते की थी
और बड़ी ये ज़िन्दगी वो ढो गया।
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ज़रा-सा तो इश्क़ का चर्चा चला
भरी महफ़िल में अकेला हो गया।
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गंगेश गुंजन #उचितवक्ताडेस्क।
Wednesday, January 11, 2023
ग़ज़लनुमा: कहते कहते वो मसीहा हो गया
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