किसी का ये बहाना है किसी का वो बहाना है
सियासत तो सियासत हमनवाँओं का
पुराना है।
शगल क्या है हुकूमत की इनायत चैनेलों पर ये
हक़ीक़त को छुपाना झूठ को दुल्हन बनाना है।
हमें कबतक बना रखेंगे अपने रेस का घोड़ा
बताए रहनुमा कबतक हमें बुद्धू बनाना है।
हुकूमत और जनता में ठनी रहती तो है अकसर
मगर क्या दिन दहाड़े आम जन यूँ बरग़लाना है।
ग़ज़ब है हुक्म में जादू अजब माया ज़ुबाँ में है
मगर मुतमइन हैं गुंजन कि अब जन-जन सयाना है।
💥 गंगेश गुंजन। #उचितवक्ताडेस्क।
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