🌸 ग़ज़लनुमा 🌸
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मता-ए वायदा उसका दिया है
ज़रा सी ज़िन्दगी में कम क्या है।
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कहेगा और कौन वो ही तो ये
तबस्सुम है तो चश्म-ए-नम क्या है।
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मुसल्सल चल रहा है मुल्क भर जो
मौसमे ठंढ ऐसे गरम क्या है।
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वो जो सिंहासनों पर बैठे हैं
थोड़े मुजरिमों पर नरम क्या है।
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क़त्ल करता है और पूछता है
बता मक़्तूल तेरा धरम क्या है।
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गंगेश गुंजन #उचितवक्ताडेस्क।
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