Saturday, June 10, 2023

ग़ज़लनुमा : एक बार फिर से देखूँ कर के

                   ❄️
  एक बार फिर से देखूँ कर के
  मौत को देखूँ  मैं  यूँ  मर  के।

  रह गए डर कर जीते अबतक
  रहूँ अब मैं भला क्यूँ डर के।

  अनकिये रह न जायें वो सब
  कहाँ जायें आधा  यूँ कर के।

  हो रहा कुछ न कुछ कैसा-वैसा
  सुबह से आंँख दायीं क्यूँ फड़के।

  हज़ारों कोस पर बोला कोई
  यहाँ दिल्ली का दिल क्यूँ धड़के।
                    🪷
               गंगेश गुंजन                                   #उचितवक्ताडेस्क।

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