Monday, December 27, 2021

वक़्त क़ब्रिस्तान है

 🌓      यह वक़्त क़ब्रिस्तान है।

     यह समय एक क़ब्रिस्तान है। हम
     सब इसी की क़ब्र में हैं। एक क़ब्र
     में मैं भी हूँ। और इस कोरोना काल मे         जो बाहर हैं वे महज़ क़ब्र के अगल-           बगल पनप गई दूब,खर-पतवार        

     वनस्पति जैसे हैं।

           #उचितवक्ताडेस्क।

                गंगेश गुंजन

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