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सुलूके खुरदुरापन आ गया है
बे ज़रूरी नयापन आ गया है।
यों तो रहता है वो पटना में
कहाँ से ये गयापन आ गया है।
सिला वो दोस्ती में चाहता है
य' कैसा परायापन आ गया है।
अभी पिछले दिनों तक थी नहीं जो
सियासी बेहयापन आ गया है।
हो गये दूर जितने थे क़रीब अब
इक अनाम अपनापन आ गया है।
हो गई मुँह बोली क्या उनमें
राब्ते में नयापन आ गया है।
ख़ौफ़ के मंज़र से उबरे गुंजन
ज़ुबांँ में इक खरापन आ गया है।
०९.१२.'२१.
गंगेश गुंजन,
#उचितवक्ताडेस्क।
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