Saturday, December 25, 2021

सुलूके खुरदुरापन आ गया है : ग़ज़ल नुमा

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    सुलूके खुरदुरापन आ गया है
    बे ज़रूरी नयापन आ गया है।

    यों तो रहता है वो पटना में
    कहाँ से ये गयापन आ गया है।

    सिला वो दोस्ती में चाहता है
    य' कैसा परायापन आ गया है।

   अभी पिछले दिनों तक थी नहीं जो
    सियासी बेहयापन आ गया है।

    हो गये दूर जितने थे क़रीब अब
    इक अनाम अपनापन आ गया है।

    हो गई मुँह बोली क्या उनमें
    राब्ते में नयापन आ गया है।

    ख़ौफ़ के मंज़र से उबरे गुंजन
    ज़ुबांँ में इक खरापन आ गया है।
              ०९.१२.'२१.

              गंगेश गुंजन,

         #उचितवक्ताडेस्क।




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