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गाने में आकर सुख-दुख दोनों
समान हैं।
मन्दिर में जो भजन मस्जिदों में
अजान हैं।
जिस सराय में ठहरे हो उसूल
भी समझो।
शबो रोज़ इस क़िस्से में हम
मेहमान हैं।
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#उचितवक्ताडेस्क।
गंगेश गुंजन
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