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.....मन करता है
न पढ़ने का मन करता है
न लिखने का मन करता है।
न खाने का मन करता है
न पीने का मन करता है।
न हँसने का मन करता है
न रोने का मन करता है।
न जगने का मन करता है
न सोने का मन करता है।
न रहने का मन करता है
न जाने का मन करता है।
न बोलने का मन करता है
न बतियाने का मन करता है।
न सुनने का मन करता है
न गाने का मन करता है।
न जाने का मन करता है
न बुलाने का मन करता है।
न जीने का मन करता है
न मरने का मन करता है।
खाली इस कोरोना और
बदहाल व्यवस्था को
गरियाने का मन करता है।
होलियाने का मन करता है।
***
गंगेश गुंजन
#उचितवक्ताडेस्क।
०४ मई.'२१.
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