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जिसको आत्मा कहते हैं अन्ततः कोई भंवरा
है। सूखे शरीर को त्याग कर नव कुसुम से
खिली डाली ढ़ूंँढ़ती फिरती है।
(१.)
देह और दिल का झगड़ा है अजीब
देर तक रह गया तो क़यामत है ।
(२.)
मौत और शै क्या है ?
जिस्म से रूह का तलाक़।
(३.)
रूह और जिस्म में दंगल भला कहांँ मुमकिन
कभी ग़ुलाम भी टकराता है शहंशाह से !
🌿🌸🌿।
गंगेश गुंजन
#उचितवक्ताडेस्क।
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