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प्रार्थना !
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अपनी-अपनी भाषा में हम लगातार प्रार्थना
लिख रहे हैं।
अश्रुपूरित श्रद्धांजलियाँ,शोक संताप
लिख रहे हैं।
दुनिया भर के क्लेश लिख रहे हैं
निस्सहाय इनका भोगना लिख रहे हैं
इसलिए,
अंधकार,हताशा,भय और चिंता पर
शुभकामनाएंँ लिख रहे हैं।
समर्पित लोगों की निर्भय निष्काम
सेवा-सहयोग का आह्वान लिख रहे हैं ।
डॉक्टर, दवा,ऑक्सीजन एंबुलेंस लिख
रहे हैं।
ये सब जब लिखना ही पड़ रहा है तो
प्रार्थना क्यों लिख रहै हैं ,
किसकी?
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गंगेश गुंजन
#उचितवक्ताडेस्क।
१४.०५.'२१.
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