🍀!🍀 ग़ज़लनुमा 🍀!🍀
वतन किन मुश्किलों से घिर गया है।
हमारा दिल भी थोड़ा डर गया है।
कुछ तो इतने महीन हैं मसले
ध्यान अब तक नहीं उन पर गया है।
दहलता है जिगर सब देख कर के
सम्भल भी जाय लौटा, घर गया है।
गाँव में लोग हैं व्याकुल कि जिनका
कोई बच्चा अगर शहर गया है।
बहुत साथी भी रुख़्सत हो गये हैं
मगर इक आज है जो घर गया है।
ज़हर की झील काली काँपती है
वक़्त डगमग यहीं ' ठहर गया है।
लोग कहते हैं और हालात बिगड़े
वो मुत्मइन हैं कि सम्भल गया है।
गंगेश गुंजन
#उचितवक्ताडेस्क।
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