मनुष्यता और कविता
कविता के बदन पर जिस दिन कोई घाव नहीं होगा उस दिन सम्पूर्ण मनुष्यता स्थापित हो जाएगी।
#उचितवक्ताडेस्क। गंगेश गुंजन
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