कवि के बारे में
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जुमलेबाज़ी के व्यामोह में कुछ
अच्छे कवि की भी कविता
सफ़ेद मक्खन का लोथरा होकर
रह जाती है। बेशक़ दपदप
आकर्षक मगर इतनी नरम और
पुलपुल कि पढ़ते हुए आँखों में
ही चिपक कर रह जाय। हृदय
तक नहीं उतर पाती।
कविता आदमी के लिए तो होनी
चाहिए मगर हर हाल उसे आदमी
नहीं हो जाना चाहिए।
#उचितवक्ताडेस्क। गंगेश गुंजन
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