Saturday, May 28, 2022

आह एक दुनिया है

                       🌍
       आह एक दुनिया आबादी है

    कितने ही लोग अकेले  
  अपने-अपने मन के भीतर दु:ख का समुद्र हैं 
    इतनी बड़ी आबादी के इस देश में 
    आहों से भरे हुए बेपनाह सिन्धु
  की उफनती हुई ऊँची उग्र लहरों
  के समान। 
     जिस दिन सवा करोड़ लोग भी
  एक साथ मुँह खोल कर ज़ोर से आह बोल पड़ें तो गूंज अनुगूंज से
  यह धरती पलट जा सकती है,
  आकाश फट सकता है,ऐसा
  जिस भूमि पर,
   जिस घड़ी,जिस दिन हो जाय 
  हो सकता है।                                                       गंगेश गुंजन 
             #उचितवक्ताडेस्क।

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