🌍 भोले भाले : बैठे ठाले !
- सोना-
बड़ा और दामी घमंडी होता है। जैसे सोना। वह निर्धन के पास नहीं रहता। जब रहता है तो धनवालों के घर। ग़रीब से घृणा करता है। उन से दूर-दूर रहता है। हालांँकि उसका स्वभाव ही ऐसा है कि वह जहाँ रहने लगता है वह अमीर हो जाता है। वह धनी कहलाने लगता है। तो सोना ग़रीब के यहाँ रहने लगे तो वे भी ग़रीब क्यों रह जाएँगे ? मगर नहीं। सोना तो समाज में व्याप्त वास्तविक जाति वर्ण भेद से भी अधिक द्वेषी,नस्लवादी और होता है।
गरीबों से द्वेष रखता है और गहरी घृणा।
इतना ताकतवर होकर सोना डरपोक बहुत होता है। छिने जाने या चुरा लिए जाने के डर से वह विशेष अवसर और उत्सवों पर ही बाहर आता है। ज़्यादातर बक्सा-संदूकों में बंद रहता है।आजकल तो
और उसे अपने ही घर में रहने से डर लगता है सो बैंकों के लॉकरों में जाकर,छुप कर रहता है।
विवेकहीन भी बहुत होता है सोना। जबकि कहते हैं,विवेकहीन बलशाली बाकी समाज के लिए बड़ा ख़तरनाक हानिकारक होता है। इसीलिए बाकी लोग उससे बच कर रहते हैं उसे कभी अपना नहीं समझते।
वह ज़रा शान्त होकर,ठंडे दिमाग़ से सोचे और हिसाब लगाये तो जान सकता है कि अपनी सुरक्षा के लिए जितना धन वह साल भर में ख़र्च कर डालता है उतने को अगर समाज भर के गरीबों में बँट फैल कर रहने लगे तो उसे इतना डर डर कर रहने की भी क्या ज़रूरत होगी और दुनिया में
घमंडीलाल भी नहीं समझा जाएगा?
और सबसे बड़ी बात तो यह कि समाज में सर्वत्र ख़ुशहाली फैल जाएगी सो अलग। बहुत कुछ दुनिया रह कर जीने लायक हो जाएगी।
#उचितवक्ताडेस्क।
गंगेश गुंजन
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