* लफ़्फाज़ी सिर्फ़
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लफ़्फाज़ी सिर्फ़ राजनीति में
नहीं,साहित्य में भी है। तो
अनुपात: दोनों ही क्षेत्रों में
अपनी-अपनी जगह
विश्वसनीयता खत्म हो चुकी है
अथवा संदेहास्पद अस्तित्व में
है।
#उचितवक्ताडेस्क।
गंगेश गुंजन
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