🌀🌟🌀 उड़ाया हुआ रत्न,अपने सिर-मुकुट में जड़ कर प्रदर्शित करने जैसी कला साहित्य में प्रायश: संस्मरण कहलाती है।
अपवाद असंभव नहीं है। #उचितवक्ताडेस्क।
गंगेश गुंजन
No comments:
Post a Comment