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आग लगी तो लोग !
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घर में आग लगी तो,व्यवसायी
अपनी पूंजी-हीरे जवाहरात समेटकर
बचाने लगा।
बंधक-व्योपारी संदूक में धरे अंगूठाछाप और
दस्तखतों के दस्तावेज़।
चित्रकार बनी-अधबनी अपनी पेंटिंग,
लेखक लिखे हुए अपने काग़ज़ात-कलम,
गाने के साज़ संभाल में पागल होकर जुटा
गायक।
दरवाजा खोलने के लिए पिता दौड़ा
बिस्तर में बेख़ौफ़ निश्चिंत सो रहे
शिशु की तरफ़ जी-जान से लपकती है
-स्त्री !
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गंगेश गुंजन
#उचितवक्ताडेस्क।
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