काल्हि चूल्हिक छुट्टी रहतै !
तें अनमन माय जकाँ बड़ी-भात,दलिपूड़ी-दलिपिठ्ठी इत्यादि सब टा विन्यास चूल्हि आइए रान्हि क' ध' जयतैक जे सन्तान भुखले ने रहय काल्हि। छुट्टी मे एक दिन लय नैहर सँ भ' आओत ! मुदा चूल्हिक कें आब नैहर छैक कि नहिं ? ओकर नैहर कोन गाम छैक?
सवाल अछि जे, जाहि संस्कृतिक गाम मे चूल्हि के पर्यंत एक दिन विश्राम देबाक मनुक्खधर्मा अवधारणा ओ एतेक प्राचीन प्रथा-परम्परा छैक ताहि संस्कृतिक एहन पराभव कोना भ' गेल?के होअऽ देलकै ई पराभव ?
छुच्छे कोरोना काल कें दोष दै जयबैक ?
गंगेश गुंजन
#उचितवक्ताडेस्क।
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