🛖🛖। समाज परीक्षा-कॉपी है मेरी ।🛖🛖
अनुभव मेरे प्रश्न-पत्र हैं और समाज
उत्तर-पुस्तिका जिस पर लिख-लिख कर मैं
निरंतरअपना इम्तिहान देता रहता हूंँ।अनुभव को
समाजउत्तीर्ण करता है तो संजो लेता हूंँ
अनुत्तीर्ण कर देता है तो किनारे कर देता हूंँ।
फिर नए अनुभवको समाजकी उत्तर-पुस्तिका
पर लिख-लिख कर निरन्तर परीक्षाएंँ देता
रहता हूंँ।अभी का यह इम्तिहान कुछ और
कठिन लग रहा है। फेल तो नहीं करना
चाहिए...
एक सचेष्ट रचनाकार परीक्षक से अधिक
अपने समय का परीक्षार्थी होता है। ऐसा मुझे
लगता है। ⚡⚡
गंगेश गुंजन
#उचितवक्ताडेस्क।
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