Thursday, April 1, 2021

आलोचना-आचरण तक आदर्श !

रचना से आलोचना-आचरण तक आदर्श, कहीं न कहीं एक नैतिकता से जुड़ा तो होता है लेकिन प्रायोजित नहीं रहता। इस धारणा की उम्र अब समाज में शेष प्राय है क्या ?

                      गंगेश गुंजन

                  #उचितवक्ताडेस्क।

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