चले चलो कोई अच्छा-सा ठिकाना ढूँढ़ें
इक ऎसी ज़िन्दगी का जीना आना ढूँढ़ें
वो हुए कबके रफ्तारे ज़माना शामिल
एक तरकीब कोई हम भी सयाना ढूँढ़ें
भूल ही बैठे गँवा आए सफ़र में घर भी
कहीं तो होगा इक नया आशियाना ढूँढ़ें
वो समझ बूझके ही निकला था अपनी राह
भला बताओ उसे क्यूँ कहाँ-कहाँ ढूँढ़ें
बहुत उदास है बस्ती मेरे पड़ोस में भी
कोई तजबीज करें उसको हँसाना ढूँढें
रूठ के आ भी गए गर जुनूँ कि गु़स्से में
एक बार फिर से उस गली मे जाना ढूँढ़ें
अबभी टूटा नहीं सब फिर से बन जाएगा
नई ईजाद कोई नया बनाना ढूँढ़ें
थका है जिस्म यह ऐसा जीवन चल-चल
ज़ुबाँ थकी नहीँ अब भी नया गाना ढूँढ़ें
उसकी नाराज़गी इतनी मुझसे वाजिव हैै
चलो मनायें इक प्यारा-सा बहाना ढूँढ़ें
सब जहाँ पा लेने की हसरत में झुलस रहे
इक ज़रा और की निस्बत में गँवाना ढूँढ़ें
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( गंगेश गुंजन ) 28 दिस.2012 ई.
एल आइ जी फ्लैट-१००/३७, लोहिया नगर, पटना-२०
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