Tuesday, March 13, 2018

कुछ अश् आर


बलंद अज़्मत रखते हो रखो क्या होगा
ये  चटानें  तो  टूटती हैं  हथौड़े  से।                        
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खेत की फ़सलें कागज की फ़ाइलें नहीं
इन्हें  क़लम नहीं  हंसिया  कोई काटेगी।                     
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बहुत सीटी लगा कर चुप हो गया कूकर
रसोई की ज़रा चुप्पी से विस्फोट हो गया।
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-गंगेश गुंजन

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