Monday, March 27, 2023

विश्व नाटक दिन: दोपात्रीय नाटक

🌿⚡।         कोरोना बुलेटिन।           ⚡ 🌿
                    २७मार्च,२०२०.
                          🌺
        आज दो पात्रीय संवाद-नाट्य।
    आज विश्व रंगमंच दिवस पर विशेष भेंट: 
               ।। दृश्य:एक मात्र ।।
 
   [चारों ओर से बंद ड्राइंग रूम में बैठे आमने-
    सामने क़ैदीनुमा दो लोग।१.बेचैन बुज़ुर्ग और
   २.बेफ़िक्र युवक। यानी दादा-पोता ]
                         *
    ( बहुत व्याकुलता से, खीझ और गुस्से में) : 
    दादा : पता नहीं यह अभागा कब जायेगा
    यहांँ से।
    पोता : यह कोई जिस्म का फोड़ा नहीं ना है
    दादू कि एक-दो बारी मरहम लगा देने से चला
    जाये।आप  परेशान क्यों हो रहे हैं? चला
    जाएगा न।
    दादा : अरे मगर कब जाएगा ? चला जाएगा।
    (और भी ज़्यादा ग़ुस्साते और ख़ीझते ) ।
   पोता:  वीसा ख़त्म होते ही चला जाएगा।
   (इत्मीनान से मुस्कुराते हुए )...
   दादा: अब इसका वीसा से क्या मतलब है?
   (चिढ़ कर)
   पोता: है न दादू। यह इम्पोर्टेड बीमारी है।
   जानते ही हो। लेकिन कोई नहीं। आपके
   ज़माने में वो
   एक गाना बड़ा हिट हुआ था न ?
   दादा: (बे मन से,उदासीन भाव से) कौन-सा
   गाना ?         
   पोता : जाएगा-आ-आ जाएगा-आ-आ
   जाएगा जाने वाला, जाएगा-आ-आ....
   दादा : अरे वह आयेगा आयेगा था। जायेगा
   जायेगा नहीं...(तनिक सहज होते हुए गाना
   सुधार कर सही किया तो पोते ने मुस्कराते हुए
   कहा-)
   पोता: हां दादू। मगर अब आपका आयेगा
   वाला सीन-सिक्वेंस बदल गया। यह तो
   जाएगा-जाएगा वाला है।
   (और काल्पनिक गिटार छेड़ता हुआ बड़ी अदा
   से तरन्नुम में गाने लगता है-जाएगा जायेगा
   जायेगा जाने वाला जायेगा।इस पर )
   दादा: बहुत शैतान हो गया है तू ...रुक।
  ( वह थप्पड़ दिखा कर उसकी ओर लपकने
   लगते हैं और गाते-गाते ही पोता ड्राइंगरूम का
   पर्दा समेटने लगता है। सामने बाल्कनी दीखने
   लगता है। सचमुच में गिटार की कोई मीठी धुन
   सुनाई पड़ती है। )
                        🌿🌳🌿

                   गंगेश गुंजन 

 🦚    #उचितवक्ताडेस्क प्रस्तुति   🦚

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